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दाख बारी के लिये गीत 
 1 अब मैं अपने प्रिय के लिए 
और उसकी दाख की बारी के लिये एक गीत गाऊंगी: 
एक अच्छी उपजाऊ पहाड़ी पर 
मेरे प्रिय की एक दाख की बारी थी. 
 2 मिट्टी खोदकर अच्छी सफाई करके 
उसमें अंगूर की अच्छी बेल लगाई. 
और इसके बीच एक गुम्मट बनाया 
और अच्छे फल का इंतजार करने लगा, 
लेकिन उसमें से खराब गुच्छा निकला. 
 3 “अब येरूशलेम और यहूदिया के लोग, 
मेरे और मेरे अंगूर की बारी के बीच फैसला करेंगे. 
 4 मैंने अंगूर की बारी में कोई कमी नहीं रखी 
और अच्छा फल चाहा तो उसमें खराब फल निकला. 
 5 अब मैं तुम्हें बताऊंगा 
कि मैं अपनी बारी के चारों ओर बांधे हुए बाड़े को हटा दूंगा, 
ताकि पशु आकर उसे खा लें, 
और पौधों को नष्ट कर दें. 
 6 मैं इसे निर्जन बना दूंगा, 
न मैं इसकी छंटाई करूंगा, 
न ही सिंचाई! इसमें झाड़ उगेंगे. 
और मैं बादलों को भी कहूंगा 
कि बारिश न हो.” 
 7 क्योंकि इस्राएल वंश 
सर्वशक्तिमान याहवेह की दाख की बारी है, 
और यहूदिया की प्रजा 
उनका प्रिय पौधा. 
उन्होंने न्याय मांगा, लेकिन अन्याय मिला; 
उन्होंने धर्म चाहा, लेकिन अधर्म मिला. 
दुर्वृत्तों पर धिक्कार 
 8 हाय उन पर जो घर से घर 
और खेत से खेत 
जोड़ देते हैं कि 
और किसी को खाली जगह नहीं मिलती कि वे रहने लगें. 
 9 सर्वशक्तिमान याहवेह ने कहा; 
“निश्चय बड़े, 
और सुंदर घर सुनसान हो जाएंगे. 
 10 दस एकड़ के दाख की बारी से सिर्फ एक बत* 5:10 बत करीब 22 लीटर दाखरस ही मिलेगा; 
और होमेर† 5:10 होमेर लगभग 160 किलोग्राम भर बीज से एक एफा‡ 5:10 एफा करीब 16 किलो उपज होगी.” 
 11 हाय उन पर जो सुबह जल्दी उठकर शराब खोजते हैं, और शाम तक 
दाखमधु पीकर नशा करते हैं. 
 12 उनके उत्सवों में वीणा, सारंगी, 
खंजरी, बांसुरी और दाखरस होता है, 
किंतु वे न तो याहवेह के कामों पर ध्यान देते हैं, 
और न ही उनके हाथ के कामों को सोचते हैं. 
 13 यही कारण है कि मेरी प्रजा समझ की कमी से 
उन्हें बंदी बना दी गई; 
उनके प्रतिष्ठित लोग भूखे रह जाते हैं 
और साधारण लोग प्यासे रह जाते हैं. 
 14 इसलिये अधोलोक ने, 
अपना गला खोल दिया है; 
ताकि येरूशलेम का वैभव, उसका जनसमूह 
उसके शत्रु और लेनदेन करनेवाले सब उसमें उतर जाएंगे. 
 15 तब साधारण मनुष्य तो दबाएं जाते हैं 
और बड़े लोग नीचे किए जाते हैं, 
और घमंडी की आंखें झुका दी जाएंगी. 
 16 किंतु सर्वशक्तिमान याहवेह ही न्याय करेंगे, 
और पवित्र परमेश्वर अपनी धार्मिकता में स्वयं को पवित्र प्रकट करेंगे. 
 17 तब मेमने खेत में चरेंगे; 
तथा अमीरों की खाली जगहों पर परदेशियों को चराई के लिये जगह मिलेगी. 
 18 हाय उन पर जो अनर्थ को अधर्म से, 
तथा पाप को गाड़ी के रस्सियों से खींचते हैं, 
 19 जो कहते हैं, “इस्राएल के पवित्र परमेश्वर गति को बढ़ायें; 
और अपने कामों को जल्दी पूरा करें, 
ताकि हम उनकी इच्छा को जान सकें.” 
 20 हाय उन पर जो गलत को सही 
और सही को गलत कहते हैं, 
और अंधकार को ज्योति 
और ज्योति को अंधकार से, 
और कड़वे को मीठा 
तथा मीठे को कड़वा कहते हैं. 
 21 हाय उन पर जो अपने आपको ज्ञानी 
और बुद्धिमान कहते हैं. 
 22 हाय उन पर जो दाखमधु पीने में वीर 
और बनाने में बहादुर हैं, 
 23 जो रिश्वत लेकर अपराधी को बचा लेते हैं, 
और निर्दोष को दोषी बना देते हैं. 
 24 इस कारण, जैसे आग खूंटी को जला देती है 
और सूखी घास जलकर राख हो जाती है, 
और उनकी जड़ें सड़ जाएगी 
और फल हवा में उड़ जाएंगे; 
क्योंकि उन्होंने सर्वशक्तिमान याहवेह की व्यवस्था को ठुकरा दिया है 
और इस्राएल के पवित्र वचन को तुच्छ समझा है. 
 25 इसलिये याहवेह ने क्रोधित होकर 
उनको मारा तब पर्वत हिलने लगा 
और शव सड़कों पर बिखरे पड़े थे फिर भी वे शांत न हुए, 
और उनका हाथ अब तक उठा हुआ है. 
 26 वे दूर देश के लिए झंडा खड़ा करेंगे, 
और पृथ्वी के चारों ओर से लोगों को बुलाएंगे 
और सब तुरंत वहां आएंगे. 
 27 और उनमें न कोई थका हुआ होगा न ही कोई बलहीन होगा, 
न कोई ऊंघता है और न कोई सोता; 
न तो कोई बंधन खोलता है, 
और न कोई बांधता है. 
 28 उनके तीर तेज, 
और धनुष चढ़ाए हुए हैं; 
उनके घोड़ों के खुर वज्र के समान, 
और उनके रथों के पहिए चक्रवात के समान हैं. 
 29 उनकी दहाड़ सिंह के समान, 
हां, जो गुर्राते हुए शिकार पर झपटते हैं; 
और उसे उठाकर ले जाते हैं 
और उसका छुड़ाने वाला कोई नहीं होता. 
 30 उस दिन वे समुद्र में 
उठती लहरों के समान गरजेंगे. 
और सब जगह अंधकार और संकट दिखाई देगा, 
यहां तक कि रोशनी भी बादल में छिप जाएगी.