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 1 आओ हम ख़ुदावन्द के सामने नग़मासराई करे! 
अपनी नजात की चट्टान के सामने खु़शी से ललकारें। 
 2 शुक्रगुज़ारी करते हुए उसके सामने में हाज़िर हों, 
मज़मूर गाते हुए उसके आगे ख़ुशी से ललकारें। 
 3 क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुदा — ए — 'अज़ीम है, 
और सब इलाहों पर शाह — ए — 'अज़ीम है। 
 4 ज़मीन के गहराव उसके क़ब्ज़े में हैं; 
पहाड़ों की चोटियाँ भी उसी की हैं। 
 5 समन्दर उसका है, उसी ने उसको बनाया, 
और उसी के हाथों ने खु़श्की को भी तैयार किया। 
 6 आओ हम झुकें और सिज्दा करें, 
और अपने खालिक़ ख़ुदावन्द के सामने घुटने टेकें! 
 7 क्यूँकि वह हमारा ख़ुदा है, 
और हम उसकी चरागाह के लोग, 
और उसके हाथ की भेड़ें हैं। 
काश कि आज के दिन तुम उसकी आवाज़ सुनते! 
 8 तुम अपने दिल को सख़्त न करो जैसा मरीबा में, 
जैसा मस्साह के दिन वीरान में किया था, 
 9 उस वक़्त तुम्हारे बाप — दादा ने मुझे आज़माया, 
और मेरा इम्तिहान किया और मेरे काम को भी देखा। 
 10 चालीस बरस तक मैं उस नसल से बेज़ार रहा, 
और मैने कहा, कि “ये वह लोग हैं जिनके दिल आवारा हैं, 
और उन्होंने मेरी राहों को नहीं पहचाना।” 
 11 चुनाँचे मैने अपने ग़ज़ब में क़सम खाई कि 
यह लोग मेरे आराम में दाख़िल न होंगे।