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 1 ऐ ख़ुदा, मेरी फ़रियाद सुन! 
मेरी दुआ पर तवज्जुह कर। 
 2 मैं अपनी अफ़सुर्दा दिली में ज़मीन की इन्तिहा से तुझे पुकारूँगा; 
तू मुझे उस चट्टान पर ले चल जो मुझसे ऊँची है; 
 3 क्यूँकि तू मेरी पनाह रहा है, 
और दुश्मन से बचने के लिए ऊँचा बुर्ज। 
 4 मैं हमेशा तेरे खे़मे में रहूँगा। 
मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा। 
 5 क्यूँकि ऐ ख़ुदा तूने मेरी मिन्नतें क़ुबूल की हैं 
तूने मुझे उन लोगों की सी मीरास बख़्शी है जो तेरे नाम से डरते हैं। 
 6 तू बादशाह की उम्र दराज़ करेगा; 
उसकी उम्र बहुत सी नसलों के बराबर होगी। 
 7 वह ख़ुदा के सामने हमेशा क़ाईम रहेगा; 
तू शफ़क़त और सच्चाई को उसकी हिफ़ाज़त के लिए मुहय्या कर। 
 8 यूँ मैं हमेशा तेरी मदहसराई करूँगा, 
ताकि रोज़ाना अपनी मिन्नतें पूरी करूँ।